
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान
- योजना का उद्देश्य
उत्तर प्रदेश के शिक्षित एवं प्रशिक्षित युवाओं को स्वरोजगार से जोड़कर नए सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में रोजगार सज्जित करना है
- योजना का लक्ष्य
प्रतिवर्ष 1 लाख युवाओं को वित्त पोषित कर इस स्वरोजगार मिशन द्वारा आगामी 10 वर्षों में 10 लाख सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना करना है
योजना हेतु पात्रता एवं शर्तें
1. आवेदक उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए ।
2. आवेदक की आयु 21 से 40 वर्ष होनी चाहिए
3. आवेदक की शैक्षिक की योग्यता न्यूनतम कक्षा 8 उत्तीर्ण होनी चाहिए । इंटरमीडिएट उत्तीर्ण अथवा समकक्ष को वरीयता दी जाएगी। सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण योजनाओं जैसे विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जनपद एक उत्पाद प्रशिक्षण एवं टूल किट योजना ,अनुसूचित जाति , जनजाति , अन्य पिछड़ा वर्ग प्रशिक्षण योजना उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेंट मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन आदि में प्रशिक्षित हो अथवा किसी मान्यता प्राप्त विद्यालय शैक्षणिक संस्थान से कौशल संबंधी सर्टिफिकेट कोर्स डिप्लोमा डिग्री प्राप्त हो,
पूर्व में पीएम सम्मन निधि योजना के अतिरिक्त राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा संचालित किसी अन्य योजना में ब्याज अथवा पूंजी उपादान (सब्सिडी )का लाभ प्राप्त नहीं किया हो ।
- योजना के अंतर्गत पोषण
- उद्योग एवं सेवा क्षेत्र की अधिकतम 5 लाख तक की परियोजनाओं के ऋण पर अनुदान निर्धारित किया जाएगा । रुपए 5 लाख से अधिक रुपए 10 लाख तक परियोजना लागत वाली इकाइयों में ऋण वित्त की व्यवस्था लाभार्थी को स्वयं के स्रोतों से करनी होगी , इसके साथ कोई अनुदान देय नहीं होगा।
- ऋण कंपोजिट लोन प्रकृति का होगा अर्थात और इसमें ऋण का एक भाग टर्म लोन होगा तथा दूसरा भाग कैश क्रेडिट होगा ।
- कुल परियोजना लागत का न्यूनतम 10% टर्म लोन के रूप में होना अनिवार्य होगा।
- परियोजना में भूमि /भवन का क्रय सम्मिलित नहीं होगा।
- सामान्य वर्ग के लाभार्थी को परियोजना का लागत का 15%, अन्य पिछड़ा वर्ग के लाभार्थी को परियोजना लागत का 12.5 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति ,दिव्यांगजन के लाभार्थी को परियोजना लागत का 10% स्वंय के अंशदान के रूप में जमा करना होगा, साथ ही प्रदेश में आर्थिक रूप से पिछड़े भौगोलिक क्षेत्र बुंदेलखंड एवं पूर्वांचल क्षेत्र तथा भारत सरकार द्वारा घोषित प्रदेश के आकांक्षात्मक जनपदों जैसे चित्रकूट, चंदौली ,सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर ,सिद्धार्थ नगर ,श्रावस्ती ,बहराइच के लाभार्थियों /आवेदकों को परियोजना लागत का 10% स्वंय के अंशदान के रूप में जमा करना होगा
- यह अंशदान फ्रंट एंडेड होगा अर्थात यह अंशदान लाभार्थी को बैंक द्वारा ऋण करने से पहले जमा करना होगा ।
- परियोजना लागत अथवा अधिकतम 5 लाख रुपए जो भी काम हो के सापेक्ष बैंक वित्तीय संस्था से लिए गए ऋण के शत प्रतिशत ब्याज का उपादान अर्थात ब्याज सब्सिडी वित्त पोषण की तिथि से अगले 4 वर्षों के लिए दिया जाएगा । सीजीटीएमएसई कवरेज हेतु आवश्यक धनराशि का वहन भी 4 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा । यदि लाभार्थी द्वारा समय के स्रोतों से किसी ऋण पर वित्त संस्था बैंक से सीजीटीएमएसई कवरेज की सुविधा ली गई हो तो भी प्रस्तावित योजना में उसे ऋण एवं सीजीटीएमएसई कवरेज दिए जाने पर कोई रोक नहीं होगी।
- ब्याज उपादान अर्थात ब्याज सब्सिडी त्रैमासिक आधार पर दिया जाएगा।
- लोन की तिथि से 6 माह की अधिस्थगन अवधि अर्थात मोरटोरियम पीरियड दी जाएगी।(इस अवधि तक या इस अवधि में ऋणी को कोई क़िस्त नही जमा करनी होती है । बैंकिंग और फाइनेंस में, Moratorium का मतलब होता है किसी ऋण (loan) या EMI के भुगतान को कुछ समय के लिए टाल देना। इसका मतलब यह नहीं कि लोन माफ हो गया, बल्कि इस अवधि में आपको भुगतान नहीं करना पड़ता, लेकिन ब्याज (interest) जुड़ता रहता है।)
- लोन डिफॉल्ट होने की स्थिति में अथवा किस्तों की अदायगी में लाभार्थी द्वारा देरी किए जाने पर बैंक वित्तीय संस्था द्वारा लगाए जाने वाले पेनल इंटरेस्ट को उपादान अर्थात सब्सिडी में शामिल नहीं किया जाएगा।
- परियोजना स्थापित न करने अथवा 4 वर्षों की समयावधि में परियोजना बंद होने की स्थिति में मार्जिन मनी सब्सिडी की धनराशि वापस ले ली जाएगी ,यह सब्सिडी इकाई के 4 वर्षों तक कार्यरत होने के उपरांत उसके खाते में समायोजित की जाएगी।
- 4 वर्षों की अवधि में मूलधन की पेनल इंटरेस्ट सहित वापसी करने वाला लाभार्थी योजना अंतर्गत पोषण का पात्र होगा।
- द्वितीय चरण की परियोजना लागत अधिकतम 10 लाख हो सकेगी तथा प्रथम स्टेज में लिए गए ऋण का अधिकतम दोगुना अथवा रुपए 7.5 जो भी काम हो कि रन धनराशि पर 50% ब्याज उपादान अर्थात ब्याज सब्सिडी वित पोषण की तिथि से अगले 3 वर्षों के लिए दिया जाएगा । द्वितीय चरण की परियोजना में कोई मार्जिन मनी सब्सिडी दे नहीं होगी।
- कंपोजिट द्वितीय चरण लोन में परियोजना लागत का न्यूनतम 10% टर्म लोन होना अनिवार्य होगा तथा इसमें वर्कशॉप /वर्कशेड की लागत भी शामिल की जा सकेगी
द्वितीय चरण में भी सीजीटीएमएसई कवरेज हेतु आवश्यक धनराशि का वहन भी 3 वर्षों तक राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा । - योजना अंतर्गत राष्ट्रीयकृत /शेड्यूल /ग्रामीण बैंक को तथा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित सभी वित्तीय संस्थानों से वित्त पोषण हो सकेगा।
- डिजिटल ट्रांजेक्शन के सापेक्ष रुपए एक प्रति ट्रांजैक्शन तथा अधिकतम रुपए 2000 प्रतिवर्ष का अतिरिक्त अनुदान प्रति इकाई लाभार्थी को देय होगा।
- मिशन के अंतर्गत ऐसी परियोजनाएं ऋण अनुदान हेतु अनुमन्य नहीं होगी जो नेगेटिव लिस्ट के अंतर्गत होगी । योजना अंतर्गत निगेटिव लिस्ट इस प्रकार होगी :
A. तंबाकू उत्पाद गुटका पान मसाला इत्यादि
B. अल्कोहल ,वात युक्त पेय पदार्थ ,कार्बोनेटेड उत्पाद आदि
C. पटाखों का विनिर्माण प्लास्टिक कैरी बैग( 40 माइक्रोन से कम) अथवा भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रतिषिद्ध श्रेणी में वर्गीकृत मोटाई के प्लास्टिक बैग
D. समय समय पर प्रतिषिद्ध श्रेणी सूची में श्रेणीकृत अन्य उत्पाद |